2010 के बाद हुई है शादी पर होगा नियम लागू। विवाह के छहः माह तक पंजीकरण नहीं कराया तो देना होगा जुर्माना
देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के तहत विवाह को लेकर गाइडलाइन स्पष्ट कर दी गयीं है। जिसके अनुसार वर्ष 2010 के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं यह पंजीकरण विवाह होने के छहः महीने की अवधि के अन्दर कराना होगा, अन्यथा देरी करने पर पंजीकरण कराने वाले लोगों को 10 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा।
इतना ही नहीं पंजीकरण के संबध में यह भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पंजीकरण के दौरान कूटरचित अर्थात गलत तथ्य से संबधित फर्जी दस्तावेज लगाए जाने और पकड़े जाने पर 25 हजार रुपये जुर्माना या 3 माह तक की जेल या दौंनों ही हो सकते हैं।
नये कानून के मुताबिक विवाह करने वालों में से यदि स्त्री या पुरुष राज्य का निवासी होगा तो उसका पंजीकरण अनिवार्य होगा। जो पहले से पंजीकृत हैं, उन्हें कानून लागू होने के छह माह के भीतर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में घोषणा-पत्र दाखिल करके जानकारी देनी होगी। वहीं 2010 से पहले के दंपती चाहें तो अपना पंजीकरण करा सकते हैं, इसके लिए विवाह योग्य आयु का मानक पूर्ण होना चाहिए अथवा बहु-विवाह नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा इस कानून में यह भी प्रावधान है कि यदि कोई दंपति विवाह के 6 माह के अन्दर पंजीकरण नहीं कराता है तो सब-रजिस्ट्रार स्वयं इसका संज्ञान लेते हुए दंपति को नोटिस जारी कर सकते हैं। जिसके आधार पर 30 दिन के अन्दर नोटिस पाने वाले दंपति को अपना लिखित रुप में सब-रजिस्ट्रार के समक्ष अपना पक्ष रखना होगा अर्थात ज्ञापन प्रस्तुत करना होगा। ऐसा न करने पर सब-रजिस्ट्रार द्वारा 25 हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है।