मथुरा टुडे डेस्क
नीतिश बाबू ने जब रातों-रात बाउण्ड्री लांघकर एन डी ऐ बगीचे में टहलना शुरु कर दिया था तो राजद-जदयू गठबन्धन में दूरियां तो साफ तौर पर देखने को मिल रहीं थीं लेकिन तेजस्वी को यकीन था कि नीतिश बाबू ने एनडीए के साथ जो किया है उसके बाद मोदी और शाह नीतिश बाबू को कभी अपने खेमे में वापस नहीं लेंगे ऐसे में उनकी मजबूरी होगी राजद का साथ देने की और यही मजबूरी तेजस्वी को शायद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दे।
संभवतः तेजस्वी यह भूल गये कि नीतिश बाबू को भाजपा वाले पलटूराम यौं ही नहीं कहते थे। उनकी पलटी के आगे बड़े से बड़े नेता फेल हो जात हैं तो फिर तेजस्वी तो अभी राजनीति में बालक की श्रेणी में ही आते हैं।
अब सुशासन बाबू के लिए अपना शासन बनाऐ रखने के लिए बस गर्दन ही तो घुमानी पड़ती है तो घुमा दी और फिर से हो गये एनडीए के। लेकिन नीतिश के इस यू टर्न से बौखलाए तेजस्वी बाबू ने भी एक मंझे हुए राजनैतिक खिलाड़ी का भपका दिखाते हुए सार्वजनिक तौर पर कह डाला कि नीतिश बाबू के जाने से उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं और बिहार की राजनीति में वह बड़ा खेला करने वाले हैं।
लोगों को लगा कि जिस तरह से बिहार की राजनीति में भूचाल आया है और तेजस्वी भी एक युवा राजनेता हैं तो कोई बड़ा खेला करने वाले हैं लिहाजा हर किसी को फ्लोर टेस्ट का इंतजार था।
वहीं इससे उलट नीतिश कुमार बेहद विश्वास से भरे नजर आ रहे थे।
हो भी क्यों न क्योंकि नितीश बाबू ये अच्छी तरह से जानते थे कि खेला करने के लिए एक डमरु चाहिए होता है, रस्सी से बंधा एक बंदर चाहिए होता है जिससे खेला वाला खेला दिखा सके।
लेकिन तेजस्वी यह भूल गये कि उनके हाथ में जो रस्सी वाला बन्दर था वह तो रस्सी को खोलकर पड़ोसी के पेड़ पर जा बैठा है और रही बात डमरु की तो शिवभक्त मोदी जी से ज्यादा अच्छा डमरु बजाना भला कौन जानता है तो ऐसे में खेला दिखाने की बारी तो नितिश और मोदी की थी जो उन्होंने दिखा दिया। बाकी रही बात तेजस्वी का तो वह बेचारे यूं ही गाल बजाते रह गये।
यानि कि यदि ये कहा जाये कि सदन के फ्लोर पर हो गया खेल – तेजस्वी हो गये फेल।
तो शायद कुछ गलत न होगा।