चुनाव का मौसम हो और किसानों का आन्दोलन न हो ! ये तो हो ही नहीं सकता। जी हां कड़वा है लेकिन सच यही है।
मनीष चतुर्वेदी ‘‘मनु’’ की कलम से……
किसानों के प्रति सरकार की गंभीरता और हमदर्दी जहां एक ओर अब सरकार के लिए उसकी कमजोरी बनती जा रही है तो वहीं किसान नेताओं या फिर ये कहें कि कथित किसान नेताओं के लिए एक सरकार को ब्लैकमेल करने का एक जरिया बनता जा रहा है। ऐसे में कुछ किसान नेता मौके पर चौका मारने में मानो अब माहिर हो चुके हैं और उन्हीं नामों में से एक हैं राकेश टिकैत। जो कि अपने ट्रैक्टर-फैक्टर से सरकार को डराने में महारत हासिल कर चुके हैं और जिसका जलवा पहले भी देश की जनता देख चुकी है।
ठीक उसी तर्ज पर किसानों की आवाज में आवाज मिलाने के लिए राकेश टिकैट अपने ट्रैक्टर के साथ मैदान में आने की हुंकार भर चुके हैं।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे योगी आदित्यनाथ भी इस हुंकार की हनक को सुन चुके हैं बाबजूद इसके पूरी तरह से शांत और बेफिक्र नजर आ रहे हैं।
अब योगी आदित्यनाथ की ये शांति राकेश टिकैत के सामने किस रुप में आती है ये शायद स्वयं राकेश टिकैत भी नहीं जानते। लेकिन जो लोग योगी आदित्यनाथ को जानते हैं उनका मानना है कि योगी नाम के शेर की मांद अर्थात उत्तर प्रदेश में यदि किसी ने भी कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की तो शेर कितना हिंसक हो सकता है या फिर अपनी मांद में घुसे असमाजिक तत्वों का शिकार किस तरह से करेगा ये कोई नहीं जानता।
वैसे भी ये पूरा देश जानता है कि कुछ समय पूर्व इन्हीं टिकैत महाशय ने लखनउ में अपना ट्रैक्टर का फैक्टर दिखाने की कोशिश की थी तो बाबा ने भी बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि जैसा आन्दोलन होगा स्वागत भी उसी अंदाज में होगा, फैसला टिकैत साहब को करना है कि वह किस तरह का स्वागत चाहते हैं।
उसके बाद क्या हुआ ये सभी जानते हैं तब संभवतः टिकैत साहब के ट्रैक्टर का इंजन स्टार्ट ही नहीं हो सका था।
अब एक बार फिर राकेश टिकैत आगामी 26 फरवरी को दिल्ली की ओर जाने वाले नेशनल हाइवे पर अपने ट्रैक्टर का फैक्टर दिखाने के लिए तैयार हैं तो बाबा भी कहां पीछे रहने वाले हैं।
हालांकि भगवा धारण करने वाले योगी को लोग ही नहीं स्वयं राकेश टिकैत भी बुल्डोजर बाबा के नाम से तो जानते ही हैं लेकिन राकेश टिकैत को ये जानना भी जरुरी है कि भगवा रंग जहां एक ओर आध्यात्म ओर भक्ति का संदेश देता है तो वहीं यह रंग शौर्य का भी प्रतीक है। जबकि शौर्य और क्षत्रिय का तो वैसे भी खून का नाता है।
अब ऐसे में भगवाधारी बाबा अपना भक्ति रुप दिखाते हैं या फिर क्षत्रिय का तेज ये तो अब राकेश टिकैत का हर एक कदम तय करेगा।
लेकिन इतना तो तय है कि जोश में आकर राकेश टिकैत ने योगी रुपी शेर की मांद में घुस कर हुंकार तो भर दी है लेकिन इस हुंकार का परिणाम क्या होगा ये आने वाला वक्त ही बतायेगा।
जहां तक मेरी शंका है कहीं शेर की मांद में घुसकर हुंकार भरना कागजी शेरों को मंहगा न पड़ जाये।