लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों की अब नहीं चलेगी मनमानी।

बिना रजिस्ट्रेशन साथ रहे तो जाना होगा जेल। जेब पर भी पडे़गा भार, देना होगा आर्थिक दंड।

देहरादून। बीते कुछ वर्षो में जिस तरह से लिव इन रिलेशनशिप के मामले तेजी से बढ़े हैं और निजी स्वतंत्रता की आड़ में जिस तरह से इस व्यवस्था ने सामाजिक ढांचे को चोट पहुंचाने का काम किया है ऐसे में उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू किये जाने वाले यूनिफार्म सिविल कोड कानून भारतीय संस्कृति और संस्कारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं।

सूत्रों के मुताबिक यूसीसी के तहत निर्धारित प्रावधानों में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी कड़े नियम बनाये गये हैं जिसके अनुसार लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े के लिए कुछ शर्तें रखी गयी हैं जिन्हें पूरा करने के पश्चात उन्हें रहने योग्य माना जायेगा।

  1. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले महिला एवं पुरुष पहले से विवाहित नहीं होने चाहिए अथवा किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए।
  2. लिव इन रिलेशनशिप सिर्फ एक वयस्क महिला एवं एक वयस्क पुरुष ही रह सकेंगे।
  3. उत्तराखंड में रहने वाले लिव इन रिलेशनशिप जोड़े को वेब पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर और पकड़े जाने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।
  4. वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद युगल को मिलने वाली रसीद के आधार पर ही उन्हें कोई घर, हॉस्टल अथवा पी.जी. में जगह मिल सकेगी।
  5. लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकृत युगल के माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
  6. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संबंध विच्छेद का पंजीकरण कराना भी अनिवार्य होगा।
  7. लिव इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चे को युगल का जायज़ संतान ही माना जायेगा और उसे भी वही जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

गौरतलब है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में जहां एक ओर अन्य मामलों में पारदर्शिता रखी गयी है वहीं सामाजिक व्यवस्था से विपरीत लिव इन रिलेशनशिप जैसे गंभीर मामलों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
हालांकि यूसीसी को लेकर सीएम धामी पहले भी कह चुके हैं कि यूसीसी किसी के विरोध या किसी को निशाना बनाकर परेशान करने के लिए नहीं बल्कि सभी के आर्थिक, सामाजिक और मानवीय हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है अतः किसी भी वर्ग, समाज और व्यक्ति को इससे चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।

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