श्रीकृष्ण की नगरी में मनाया गया श्री यमुना का प्राक्ट्योत्सव

छप्पनभोग की अलौकिक छवि ने भक्तों को किया मंत्र मुग्ध
यमुना तट पर बही यमुना भक्ति की बयार।
माथुर चतुर्वेद समाज ने मनाया माँ यमुना का जन्मोत्सव।

मथुरा (न्यूज डेस्क, मथुरा टुडे) हर वर्ष की भांति इस बार भी यमुना छठ पर्व के अवसर पर श्रीकृष्ण की नगरी में यमुना तट पर भक्ति की बयार बही। हर कोई माँ श्री यमुना महारानी की भक्ति में लीन नजर आया।

सुबह होते ही चतुर्वेद समाज के लोगों की विश्रामघाट समेत विभिन्न यमुना घाटों पर भीड़ नजर आयी। सभी ने अपने परिवार सहित अपनी आराध्य एवं माँ श्री यमुना महारानी की पूर्ण भाव-भक्ति के साथ दूध-फूल फल अर्पण कर पूजन-अर्चना की।

माँ श्री यमुना की पूजा करते समय सभी चतुर्वेदी बंधुओं ने न सिर्फ अपने परिवार एवं समाज की कुशलता की प्रार्थना की बल्कि विश्व कल्याण के लिए भी माँ श्री यमुना से प्रार्थना की।

आपको बता दें कि चैत्र शुक्ल अष्टमीं को प्रति वर्ष यमुना छठ का पर्व चतुर्वेद समाज द्वारा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यमुना छठ के दिन को माँ श्री यमुना महारानी का जन्मोत्सव अर्थात प्राकट्योत्सव के रुप में मनाया जाता है।
यमुना छठ का पर्व ही एक मात्र ऐसा दिन होता है जबकि पूरे वर्ष में सिर्फ एक बार ही पुण्यतीर्थ विश्रामघाट पर विराजमान माँ श्री यमुना महारानी का विग्रह अपने मूल स्थान से हटाकर श्रीयमुना जल के मध्य मंच स्थापित करके विराजमान किया जाता है। इस मौके पर माँ श्री यमुना महारानी का भव्य फूलबंगला एवं छप्पन भोग लगाया जाता है।

इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस बार भी माँ श्री यमुना महारानी का छप्पन भोग एवं फूल बंगले का भव्य आयोजन किया गया।

भव्य फूल बंगले में विराजमान माँ श्री यमुना महारानी के अलौकिक दर्शन देश विदेश से आये हर किसी भक्त एवं दर्शनार्थी को मंत्रमुग्ध करते नजर आये। वहीं दूसरी आरे माँ श्री यमुना महारानी के समक्ष सजे छप्पन भोग की मनोहारी झांकी को देख हर कोई भाव-भक्ति से सराबोर नजर आ रहा था।

इस दौरान पुण्यतीर्थ विश्रामघाट सेयमुना छठ के इस पर्व पर यमुना किनारे के बाजार और मन्दिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती नजर आयी। इस दौरान यमुना किनारे स्थित सभी मंदिरों में भी फूल बंगलों का भव्य आयोजन किया गया वहीं यमुना छठ केस मेले के दौरान बच्चों और महिलाओं ने भी दर्शनलाभ के अलावा चाट पकौड़ी का भरपूर आनंद उठाया।

इस दौरान पुण्यतीर्थ विश्रामघाट से लेकर दण्डीस्वामी घाट तक विभिन्न घाटों पर भजन संध्या आदि का भी आयोजन किया गया जिसमें हजारों भक्तों ने भक्तिसंगीत का आनंन्द उठाया।

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