मथुरा टुडे ब्यूरो ; मनीष चतुर्वेदी
वर्तमान में जहां एक ओर पूरा देश राम की धुन पर झूमता नजर आ रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ राजनैतिक दल ऐसे भी हैं जो राममन्दिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर धर्मसंकट में झूलते नजर आ रहे हैं साथ ही उन्हें खुद का राजनैतिक जहाज डूबता नजर आ रहा है जिसके चलते खुले मंच से प्राण प्रतिष्ठा समारोह का विरोध भी कर रहे हैं तो स्वयं को रामभक्त एवं सनातनी प्रमाणित करने के प्रयास में भी लगे हुए हैं।
यही कारण है कि राजनैतिक गलियारे में टहल रहे कुछ राजनैतिक व्यक्तित्वों ने अपने उपर लगे हिन्दू विरोधी ठप्पे को हटाने के प्रयास भी बेहद तेजी के साथ शुरु कर दिये हैं जिसका पहला उदाहरण उस समय देखने को मिला जब कांग्रेस आलाकमान द्वारा प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को ठुकराने के बाबजूद यू0पी0 कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व मकर संक्रान्ति के दिन अयोध्या पहुंचकर सरयू की धारा में डुबकी लगाता नजर आया।
वहीं दूसरी ओर टुकड़े-टुकड़े गैंग का खुला समर्थन करने वाले और हिन्दू विरोधी होने का आरोप झेल रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल भी अब राम का विरोध करने के बाबजूद अपने चिरपरिचित अंदाज में रामभक्त हनुमान को मक्खन लगाने का दांव चलने को तैयार हैं जिसके चलते अब आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली के सभी मन्दिरों में हर मंगलवार को सामूहिक तौर पर सुन्दरकाण्ड करायेगी वो भी पूरी तरह सरकारी खर्चे पर।
यानि कि यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा को भाजपा के ही हथियार से साफ करने की विसात आप ने बिछाना शुरु कर दिया है। अब इसे केजरीवाल का चक्रव्यूह कहा जाये या फिर डैमेज कन्ट्रोल की कोशिश ये तो अब 2024 के नतीजों के बाद ही पता चल सकेगा।
इतना ही नहीं भाजपा ओर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का खुला विरोध करने और निमंत्रण पत्र को पूरी तरह से ठुकराने वाले यू0पी0 के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी शायद अपनी भूल का अहसास होने लगा है शायद यही कारण है कि अखिलेश ने भी अपनी चाल बदलते हुए पार्टी को आगामी चुनावों में होने वाले नुकसान की भरपाई के प्रयास शुरु कर दिये है। जिसके चलते उन्होंने भी रामजन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह कमेटी को पत्र लिखकर कहा है कि वह आगामी 22 जनवरी को तो नहीं लेकिन उसके पश्चात रामलला के दर्शन करने अवश्य पहुंचेंगे।
यानि कि यदि ये कहा जाये कि जैसे जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का दिन नजदीक आने लगा है वैसे वैसे रामविरोधियों के अर्न्तमन के द्वार धीरे धीरे खुलने लगे हैं या फिर ये कहा जाये कि उन्हें रामविरोधी होने के बाद होने वाले राजनैतिक नुकसान का अहसास होने लगा है तो शायद कुछ गलत नहीं होगा।
अब पलटीबाज नेता अपनी इस पलटबाजी से जनता को बेबकूफ बना पायेंगे या नहीं ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन फिलहाल इतना तय है कि आने वाले दिनों में कुछ और राजनैतिक चमत्कार भी देखने को मिलेंगे जिसे लेकर संभवतः किसी को न उम्मीद होगी और न ही विश्वास।
वैसे भी हमारे बुजुर्गो ने पहले से ही कहा है कि…..
होइहै वही जो श्री राम रच राखा।